Ganpati Aarti in Marathi | श्री गणपतीची आरती

Here we present you marathi ganpati aarti to celebrate this Ganesh Festival 2019. Happy Ganesh Chaturthi 2019 to everyone out there!

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आरत्या –
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श्री गणपतीची आरती

सुखकर्ता दु:खहर्ता वार्ता विघ्नाची | नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जायची | सर्वांग सुंदर उटी शेंदुराची | कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची | जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ती | दर्शनमात्रे मन:कामना पुरती जय देव जय देव || धृ || रत्नखचित फार तुज गौरीकुमरा | चान्दांची उटी कुंकुमकेशरा | हिरेजडीत मुगुट शोभती बरा | रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया || जय || २ || लंबोदर पितांबर फणीवरबंधना | सरळ तोंड वक्रतुंड त्रिनयना | दास रामाचा वाट पाहे सदना | संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना | जयदेव जयदेव जय मंगलमुर्ती | दर्शनमात्रे मन:कामना पुरती || ३ ||
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श्री गणपतीची आरती

शेंदूर लाल चढायो अच्छा गज मुखको | दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको | हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको | महिमा काहे न जाय लागत हुं पदको || १ || जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता | धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता || धृ || अष्टौ सिद्धी दासी संकटको बैरी | विघ्नविनाशक मंगल मुरत अधिकारी | कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबी तेरी | गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबिहारी || जय || २ || भावभगतसे कोई शरणागत आवे | संतत संपत सबही भरपूर पावे | ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे | गोसावीवंदन निशिदिन गुण गावे | जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता || धन्य || ३ ||

श्री शंकराची आरती

लवथवती विक्राळा ब्रम्हांडी माळा | वीषे कंठी कला त्रिनेत्री ज्वाळा | लावण्यसुंदर मस्तकी बाळा | तेथुनिया जल निर्मळ वाहे झुळझुळा || १ || जय देव जय देव जय श्रीशंकरा | आरती ओवाळू तुज कर्पूरगौरा || धृ || कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा | अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा | विभूतीचे उधळण शितिकंठ निळा | ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा | जय देव || २ || देवी दैत्यी सागर मंथन पै केले | त्यामाजी अवचित हळहळ जें उठिले | तें त्वां असुरपणे प्राशन केलें | नीळकंठ नाम प्रसिद्ध झाले | जय || ३ || व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी | पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी | शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी | रघुकुळटिळक रामदासाअंतरी || जय देव || ४ ||

श्री देवीची आरती

दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी | अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी | वारी वारी जन्ममरणाते वारी | हरी पडलो आता संकट निवारी || १ || जय देवी जय देवी महिषसूरमथिनी | सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी || धृ || त्रिभुवन भुवनी पाहता तुजऐसी नाही | चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही | साही विवाद करिता पडिले प्रवाही | तें तू भक्तालागी पावसी लवलाही || जय || २ || प्रसन्नवदनेTV प्रसन्न होसी निजदासा | क्लेशापासुनि सोडावि तोडी भवपाषा अंबे तुजवाचून कोण पुरविल आशा | नरहरी तल्लिन झाला पदपंकजलेशा | जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी | सुरवरईश्वरवरदे तारक || ३ ||

श्री दत्ताची आरती

त्रिगुणात्मक त्रिमूर्ती दत्त हा जाणा | त्रिगुणी अवतार त्रिलोक्यराणा | नेति नेति शब्द नये अनुमाना | सुरवरमुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना || १ || जय देव जय देव जय श्रीगुरुदत्ता | आरती ओवाळीता हरली भवचिंता जय देव जय देव || धृ || सबाह्य अभ्यंतरी तू एक दत्त | अभाग्यासी कैची कळेल हे मात | पराही परतली तेथे कैचा हा हेत | जन्ममरणाचा पुरलासे अंत || जय || २ || दत्त येउनिया उभा ठाकला भावे सांष्टागेसी प्रणिपात केला | प्रसन्न होऊनी आशीर्वाद दिधला | जन्ममरणाचा फेरा चुकविला || जय || ३ || दत्त दत्त ऐसे लागले ध्यान | हारपले मन झाले उन्मन | मी तू झाली बोळवण | एका जनार्दनी श्रीदत्तध्यान || जय देव || ४ ||

श्री विठोबाची आरती

युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा | वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा | पुंडलिकाचे भेटी परब्रम्ह आले गा | चरणी वाहे भीमा उद्धरी जगा || १ || जय देव जय देव जय पांडुरंगा || रखुमाईवल्लभा राहीच्या वल्लभा पावे जिवलगा जय देव जय देव || धृ || तुळसीमाळा गळा कर ठेवुनी कटी | कांसे पितांबर कस्तुरी लल्लाटी | देव सुरवर नित्य येती भेटी | गरुड हनुमंत पुढे उभे राहती || जय || २ || धन्य वेणुनाद अनुक्षेत्रपाळा | सुवर्णाची कमळे वनमाळा गळा | राई रखुमाई राणीया सकळा | ओवाळिती राजा विठोबा सावळा || जय || ३ || ओवाळू आरत्या कुर्वंड्या येती | चंद्रभागेमाजी सोडुनिया देती | दिंड्या पताका वैष्णव नाचती | पंढरीचा महिमा वर्णावा किती || जय || ४ || आषाढी कार्तिकी भक्तजन येती | चंद्रभागेमध्ये स्नाने जें करिती | दर्शनहेळामात्रे तया होय मुक्ती | केशवासी नामदेव भावे ओवाळिती || जय देव जय देव जय || ५ ||

मारुतीची आरती

सत्राणे उड्डाणे हुंकार वदनी | करि डळमळ भूमंडळ सिंधूजळ गगनी || कडाडिले ब्रम्हांड धाक त्रिभुवनी | सुरवर नर निशाचर त्यां झाल्या पळणी || १ || जय देव जय देव जय श्रीहनुमंता | तुमचेनी प्रसादे न भी कृतांता || धृ || दुमदुमले पाताळ उठिला प्रतिशब्द | थरथरला धरणीधर मानिला खेद | कडकडिले पर्वत उद्दगण उच्छेद | रामी रामदासा शक्तीचा शोध || जय || २ ||

श्री ज्ञानदेवाची आरती

आरती ज्ञानराजा | महाकैवल्यतेजा | सेविती साधुसंत || मनु वेधला माझा || आरती || धृ || लोपलें ज्ञान जगी | हित नेणती कोणी | अवतार पांडुरंग | नाम ठेविले ज्ञानी || १ || कनकाचे ताट करी | उभ्या गोपिका नारी | नारद तुंबर हो || साम गायन
करी || २ || प्रकट गुह्य बोले | विश्र्व ब्रम्हाची केलें | रामजनार्दनी | पायी मस्तक ठेविले | आरती ज्ञानराजा | महाकैवल्यतेजा || सेविती || ३ ||
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आरती जय जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे | भक्त जनो कें संकट क्षण में दूर करे || ओSम || जो घ्यावे फल पावे दु:ख विनशे मनका | सुख संपती घर आवे कष्ट मिटे तनका || ओSम || मात पिता तुम मेरे शरण गहू किसकी | तुम बिन और न दूजा आस करू किसकी || ओsम || तुम हो पुरण परमात्मा तुम अंतरयामी | पार ब्रम्ह परमेश्वर तुम सबके स्वामी || ओSम || तुम करुणा कें सागर तुम पालन कर्ता | मैं मुरख खल कामी कृपा करि भरता || ओSम || तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपती | स्वामी किस विधी मिलू दयामय तुमको मैं कुमति || ॐ || दिन बंधू दुखहर्ता तुम रक्षक मेरे अपने हाथ उठाओ शरण पडा तेरे || ॐ || विषय विकार मिटाओ पापा हरे देवा | श्रद्धा भक्ति बधाओ संतन की देवा || ॐ ||

जय जय श्री शनिदेवाची आरती

जय जय श्रीशनिदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा | आरती ओवाळिती | मनोभावे करुनी सेवा || धृ || सूर्यसुता शनीमूर्ती || तुझी अगाध कीर्ती | एक मुखे काय वर्णू | शेषा न चले स्फूर्ती || जय || नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ | पराक्रम थोर तुझा | ज्यावरी कृपा करिसी | होय रंकाचा राजा || जय || २ || विक्रमासारीखा हो शककर्ता पुण्यराशी | गर्व धरितां शिक्षा केली | बहु छळियले त्यासी || जय || ३ || शंकराच्या वरदाने | गर्व रावणे केला | साडेसाती येतां त्यासी | समूळ नाशासी नेला || जय || ४ || प्रत्यक्ष गुरुनाथा | चमत्कार दावियेला | नेऊनि शूलापाशी | पुन्हा सन्मान केला || जय || ५ |vकिती गाऊ | धनी न पुरे गातां || कृपा करी दीनावरी | महाराजा समर्था || जय || ६ || दोन्ही कर जोडूनिया रखमां लीन सदा पायीं | प्रसाद हाची मागे | उदयकाळ सौख्य दावी | जय जय श्री शनिदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा || ७ ||
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?सर्व गणेश भक्तानां गणेशोत्सवाच्या हार्दिक शुभेच्छा.?

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